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Satish KumarJun 6, 2024

आयुर्वेद के अनुसार भजन के नियम

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर अपनी सेहत का सही से ध्यान नहीं रख पाते हैं। गलत खानपान और सुस्त जीवनशैली के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। खुद को बीमारियों से बचाने के लिए सही खानपान बहुत आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध और पौष्टिक भोजन करना चाहिए, जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल पाएं। आयुर्वेद में भोजन करने से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। पौष्टिक भोजन खाने के साथ आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि भोजन को कैसे खाया जाए। 

क्या है आयुर्वेद के अनुसार भोजन का सही नियम ?

मौसम अनुसार भोजन करें 

मौसम के अनुकूल भोजन करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्मियों में हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही, गर्मियों में तरल पदार्थों और ठंडी चीजों का सेवन  ज्यादा करना चाहिए। वहीं, सर्दियों के मौसम में ऐसी चीजें ज्यादा खानी चाहिए, जो शरीर को गर्म रखें। सर्दियों में बासी और ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

भारतीय आयुर्वेद के अनुसार वर्ष के 12 महीनों के आहार नियम :

#चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में गुड का सेवन करे क्योकि गुड आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है।

#बैसाख (अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल पत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।

#ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।

#अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

#श्रावण (जूलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे। भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।

#भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर  वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे।  इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।

#आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।

#कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे।  ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दे। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।

#अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का प्रयोग न करे।

#पौष (दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करे, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करे।

#माघ (जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते है।

#फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड का उपयोग करे। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले। चने का उपयोग न करे।

 

जमीन पर बैठकर खाना खाएं 

आयुर्वेद के अनुसार, जमीन पर बैठकर भोजन करना चाहिए। आयुर्वेद में बताया गया है कि जमीन पर बैठकर भोजन करने से खाना अच्छी तरह पचता है। इससे शरीर को भोजन के पौष्टिक तत्व मिल पाते हैं।

एक बार में ज्यादा खाने से बचें

आयुर्वेद के अनुसार, कभी भी एक साथ ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए। एक बार में बहुत ज्यादा खाना खाने से पाचन तंत्र पर अधिक दबाव पड़ता है और भोजन को पचाने में मुश्किल होती है। आयुर्वेद के मुताबिक, हमेशा भूख से थोड़ा कम खाना ही खाना चाहिए।

भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं 

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को हमेशा चबा-चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से भोजन जल्दी और अच्छी तरह पच जाता है। भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। 

भोजन के बीच में पानी ना पीयें 

आयुर्वेद के अनुसार, खाना खाते समय पानी नहीं पीना चाहिए। इससे खाना सही तरह से नहीं पचता है, जिससे उसे पचाने में ज्यादा समय लगता है। भोजन करते समय पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने से लगभग 40 मिनट पहले और भोजन करने के लगभग आधे घंटे बाद पानी पीना चाहिए।

भोजन करने के बाद टहलें 

भोजन करने के बाद कम से कम 200 कदम टहलना चाहिए। खाना खाने के बाद लेटने या एक जगह बैठने से बचें I ऐसा करने से खाना सही तरह से नहीं पचता है, जिससे मोटापा और पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं।

(संकलन)